Diabetes: धुंधला दिखना, बार-बार यूरिन आना व वजन घटे तो हो जाएं सावधान - Health Care Tips Hindi

Diabetes: धुंधला दिखना, बार-बार यूरिन आना व वजन घटे तो हो जाएं सावधान


डायबिटीज (diabetes in hindi) आमतौर पर होने वाली समस्या है। डायबिटीज (diabetes) होने की स्थिति में आंखें, किडनी, दिमाग, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से जुड़े गंभीर, जटिल, घातक रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। एक अनुमान के अनुसार 2030 तक टाइप-2 डायबिटीज के मामले 285 से बढ़कर 438 मिलियन (43.8 करोड़) हो सकते हैं। इसके बढ़ते मामलों को रोकने के लिए इस बारे में जानकारी रखें।
प्रमुख कारण (diabetes causes) -
डायबिटीज की मुख्य वजह पेन्क्रियाज ग्रंथि का ठीक तरह से काम न कर पाना है। इस कारण ग्रंथि या तो कम मात्रा में इंसुलिन बनाती है या फिर बनाने के बावजूद उसका शरीर में ऊर्जा के रूप में प्रयोग पूरी तरह से नहीं हो पाता। इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री, शारीरिक सक्रियता की कमी, खराब व दूषित खानपान, अधिक वजन आदि प्रमुख हैं।
ऐसे पहचानें (diabetes symptoms) -
रोग की शुरुआती अवस्था में यदि लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा खून में शुगर की मात्रा बढऩा, धुंधला दिखाई देना, बार-बार यूरिन जाना, त्वचा पर खुजली होना, अधिक मात्रा में पानी पीना, वजन का अचानक घटना, थकान महसूस होना, चक्कर आना व बेहोशी छाना, किसी भी जख्म को भरने में समय लगना आदि इसके अन्य लक्षण हो सकते हैं।
खानपान ऐसा हो-
गेहूं की रोटी और ब्राउन राइस को डाइट में शामिल करें।
दूध के अलावा तैयार पनीर और दही खाया जा सकताहै।
लहसुन, प्याज, करेला, पालक, कच्चा केला और काले बेर खाएं।
मीठा, खट्टा और नमकीन खाद्य पदार्थ, आलू, शकरकंद, भारी तेल और मसालेदार भोजन से बचें।
रोज 30-40 मिनट व्यायाम करें।
दिन के समय सोने से बचे।
ये भी जरूरी -
फल- सेब, पपीता, जामुन, अमरूद, मौसमी, संतरा व खरबूजा
इतनी मात्रा: 200 से 250 ग्रा. या 100 ग्रा. के दो फल। दोनों फल अलग हों और अलग-अलग समय पर खाएं।
सब्जियां - रोज दो प्लेट मौसमी सब्जियों का सलाद व एक कटोरी हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, मूली के पत्ते, धनिया, पुदीना, सरसों व शलजम के पत्ते) खाएं।
अनाज- दलिया व खिचड़ी खाएं।
दालें- एक कटोरी बड़ेे आकार की व छिलके वाली दालें रोज खाएं।
सूखे मेवे- 5-6 बादाम, 2-3 अखरोट।
तीन तरह से परेशान करती बीमारी-
टाइप 1 डायबिटीज : इंसुलिन बनना शरीर में बंद हो जाता है। रोगी को शरीर के बाहर से इंसुलिन देते हैं। इसे इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज भी कहते हैं जो किसी भी उम्र में हो सकती है। 20 वर्ष से कम आयु के बच्चों में इसके मामले ज्यादा देखे जाते हैं जिस वजह से इसे जुवेनाइल डायबिटीज भी कहते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज : इसके मामले ज्यादातर बुजुर्गों में देखे जाते हैं। लगभग 50 प्रतिशत लोगों को अधिक मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होता है। इसके कई अन्य कारण हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज : वे गर्भवती महिलाएं जिन्हें पहले कभी डायबिटीज की शिकायत न रही हो, उन्हें यह ज्यादा होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान खून में ग्लूकोज की मात्रा जरूरत से ज्यादा होने से ऐसा होता है।
फाइबर की डोज से कम करें शुगर लेवल-
मधुमेह रोगियों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यह जानना भी जरूरी है। ऐसे में डायटीशियन की मानें तो आहार में जितना ज्यादा रेशा यानी फाइबर युक्त चीजें खाई जाएंगी उतना ही धीरे भोजन पचेगा। इससे शुगर लेवल एकदम से नहीं बढ़ेगा। ध्यान रखें कि ज्यादा देर खाली पेट न रहें, इससे शुगर लेवल एकदम से नीचे गिर सकता है और दिक्कत बढ़ती है। दिनचर्या में ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर समय से लेंं। इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहने के साथ ही बुरा कोलेस्ट्रॉल घटने और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने में मदद मिलेगी। फाइबर युक्त चीजों को खाने से वजन नहीं बढ़ेगा और हृदय रोगों से बचाव हो सकेगा। टाइप-टू डायबिटीज के रोगी को फायबर युक्त डाइट से काफी फायदा होगा। क्योंकि इसका कारण जीवनशैली होती है न कि आनुवांशिकता।
आंखों पर भी असर-
मधुमेह रोगियों में ग्लूकोमा व मोतियाबिंद के अलावा डायबिटिक रेटिनोपैथी की आशंका रहती है। इसमें ब्लड शुगर बढऩे पर आंखों से जुड़ी रक्त की नसों में दबाव बढ़ता है जिससे रेटिना क्षतिग्रस्त होने पर नसें कमजोर होतीं और खून रेटिना में फैल जाता है। इसका इलाज फोटोकोगुलेशन लेजर पद्धति है।


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