
अधिक वजन, मांसपेशियां लचीली न होना, किसी तरह की चोट लगना और सही डाइट न लेने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसी कारण जोड़ों खासतौर पर घुटने में दर्द को लेकर ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। सर्दियों में यह दर्द मांसपेशियों में अकड़न के कारण बढ़ जाता है। नियमित एक्सरसाइज कर राहत पा सकते हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञों के अनुसार वर्कआउट से जोड़ों में लचीलापन बढ़ने के साथ अकड़न दूर होती है। खासतौर पर जांघ के पिछले और आगे के हिस्सों की मांसपेशियों में मजबूती आती है जिससे घुटनों पर असर होने से दर्द कम हो जाता है।
स्क्वैट्स - ज्यादातर लोग घुटने के दर्द के दौरान स्क्वैट से परहेज करते हैं लेकिन सही मायने में यह काफी कारगर एक्सरसाइज है। स्क्वैट में दोनों पंजों के बीच थोड़ा गैप रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। अब कंधा सीधा रखते हुए दोनों हाथों को बराबरी में आगे की तरफ रखें। अब कमर को नीचे और पीछे की ओर धकेलते हुए घुटने की सीध तक झुकें। ध्यान रहे कि वजन पंजों पर नहीं बल्कि हील पर हो। इसके बाद सीधे खड़े हो जाएं। बैलेंस बनाने में दिक्कत हो तो दीवार के सहारे पीठ सटाकर भी इसे कर सकते हैं। 10-15 बार इसे दोहराएं।
नी-बेंड्स -
कूल्हों से जुड़ी मसल्स को सक्रिय रखने में यह वर्कआउट अच्छा है। इनमें दर्द हो तो घुटनों पर सीधा असर होता है। सीधे खड़े होकर एक पैर को घुटने से मोड़कर पंजा पीछे की ओर ले जाएं। दूसरा पैर सीधा रखें। दोनों हाथ कमर पर रखें। कंधा सीधा व सीना उठा हो। इस स्थिति में 10 सेकंड रुककर दूसरे पैर से दोहराएं।
कूल्हों से जुड़ी मसल्स को सक्रिय रखने में यह वर्कआउट अच्छा है। इनमें दर्द हो तो घुटनों पर सीधा असर होता है। सीधे खड़े होकर एक पैर को घुटने से मोड़कर पंजा पीछे की ओर ले जाएं। दूसरा पैर सीधा रखें। दोनों हाथ कमर पर रखें। कंधा सीधा व सीना उठा हो। इस स्थिति में 10 सेकंड रुककर दूसरे पैर से दोहराएं।
प्लांक -
यह वर्कआउट बॉडी के सही पोश्चर में मददगार है। बॉडी का पोश्चर जितना ज्यादा गलत होगा, शरीर का संतुलन बनाने के लिए मसल्स को उतना ही ज्यादा काम करना पड़ेगा। ऐसे में जोड़ों पर जोर पडऩे से घुटने पर भी ज्यादा दबाव आता है जिससे दर्द होता है। कोहनी से कलाई तक के हिस्से को जमीन पर रखकर शरीर का संतुलन बनाना होता है।
यह वर्कआउट बॉडी के सही पोश्चर में मददगार है। बॉडी का पोश्चर जितना ज्यादा गलत होगा, शरीर का संतुलन बनाने के लिए मसल्स को उतना ही ज्यादा काम करना पड़ेगा। ऐसे में जोड़ों पर जोर पडऩे से घुटने पर भी ज्यादा दबाव आता है जिससे दर्द होता है। कोहनी से कलाई तक के हिस्से को जमीन पर रखकर शरीर का संतुलन बनाना होता है।
स्टेप अप -
इस अभ्यास के लिए सीढ़ियों के दो स्टेप की जरूरत होगी। जिनपर सीढ़ी चढ़ने और उतरने की क्रिया जल्दी और बार-बार करनी होती है। शुरुआत में अभ्यास के बाद पैरों की मांसपेशियों में दर्द के साथ अकड़न होगी। लेकिन नियमित ऐसा करने से आराम मिलने लगेगा। यह ऐसी प्रक्रिया है जैसे सीढ़ी चढ़ रहे हैं और उल्टे तरीके से सीढ़ी उतर रहे हैं।
इस अभ्यास के लिए सीढ़ियों के दो स्टेप की जरूरत होगी। जिनपर सीढ़ी चढ़ने और उतरने की क्रिया जल्दी और बार-बार करनी होती है। शुरुआत में अभ्यास के बाद पैरों की मांसपेशियों में दर्द के साथ अकड़न होगी। लेकिन नियमित ऐसा करने से आराम मिलने लगेगा। यह ऐसी प्रक्रिया है जैसे सीढ़ी चढ़ रहे हैं और उल्टे तरीके से सीढ़ी उतर रहे हैं।
लैग एक्सटेंशन -
जोड़ों में रक्त का संचार बढ़ाने और मसल्स के विकास में यह एक्सरसाइज मददगार होती है। एक कुर्सी के आगे वाले किसी भी पैर पर इलास्टिक बैंड बांध दें। अब कुर्सी पर कमर सीधी रखते हुए बैठें और पंजे जमीन पर टिके हों। अब बैंड को पैर पर इस तरह अटकाएं कि पंजा जांघ के बराबर लाते समय इसे खींचने में आसानी हो। इसे दूसरे पैर से भी दोहराएं।
जोड़ों में रक्त का संचार बढ़ाने और मसल्स के विकास में यह एक्सरसाइज मददगार होती है। एक कुर्सी के आगे वाले किसी भी पैर पर इलास्टिक बैंड बांध दें। अब कुर्सी पर कमर सीधी रखते हुए बैठें और पंजे जमीन पर टिके हों। अब बैंड को पैर पर इस तरह अटकाएं कि पंजा जांघ के बराबर लाते समय इसे खींचने में आसानी हो। इसे दूसरे पैर से भी दोहराएं।
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