
शिशु को ऑटिज्म है या नहीं, इसका पता बचपन में लगाने के लिए अमरीकी वैज्ञानिकों ने फिजियोलॉजिकल टैस्ट विकसित किया है। न्यूयॉर्क के रेनसीलर पॉलीटेक्नीक इंस्टीट्यूट में हुए इस शोध में यह बात सामने आई। रक्त के नमूने से मेटाबोलाइट्स की जांचकर इस रोग का पता लगा सकते हैं।
क्या हाेता है ऑटिज्म
ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लग जाते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीरे होता है। ये जन्म से लेकर तीन वर्ष की आयु तक विकसित होने वाला रोग है जो सामान्य रूप से बच्चे के मानसिक विकास को रोक देता है। ऐसे बच्चे समाज में घुलने-मिलने में हिचकते हैं, वे प्रतिक्रिया देने में काफी समय लेते हैं और कुछ में ये बीमारी डर के रूप में दिखाई देती है।
हालांकि ऑटिज्म के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐसा सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचने के कारण होता है। कई बार गर्भावस्था के दौरान खानपान सही न होने की वजह से भी बच्चे को ऑटिज्म का खतरा हो सकता है।
लक्षण:
- सामान्य तौर पर बच्चे मां का या अपने आस-पास मौजूद लोगों का चेहरा देखकर प्रतिक्रिया देते हैं पर ऑटिज्म पीड़ित बच्चे नजरें मिलाने से कतराते हैं।
- ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे आवाज सुनने के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।
- ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को भाषा संबंधी भी रुकावट का सामना करना पड़ता है।
- इस बीमारी से पीड़ित बच्चे अपने आप में ही गुम रहते हैं वे किसी एक ही चीज को लेकर खोए रहते हैं।
- अगर बच्चा नौ महीने का होने के बावजूद न तो मुस्कुराता है और न ही कोई प्रतिक्रिया देता है तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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