कई बीमारियों में औषधि का काम करती है दालचीनी
आमतौर पर लोग दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही करते हैं, छोटे सदाबहार पेड़ से प्राप्त दालचीनी बेहद खुशबूदार होती है।आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है ।
आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के इस्तेमाल से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है। इसकी छाल को खासतौर पर मसाले के रूप में प्रयोग में लेते हैं। साथ ही इससे निकला तेल भी कई तरह से उपयोगी है।
दालचीनी का प्रयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक किया जाता है। दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं।
जानते हैं इसके प्रयोग के बारे में-
500 मिग्रा शुंठी चूर्ण, 500 मिग्रा इलायची, तथा 500 मिग्रा दालचीनी को पीस लें। भोजन के पहले सुबह-शाम लेने से भूख बढ़ती है।
दालचीनी का प्रयोग उल्टी रोकने के लिए भी किया जाता है। दालचीनी, और लौंग का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी पर रोक लगती है।
उल्टी, हृदय रोग, जोड़ों में दर्द, बेचैनी, सर्दी-जुकाम जैसे मौसमी रोग, अपच और महिला संबंधी रोगों के लिए इसे खासतौर पर प्रयोग में लेते हैं।
वजन कम करने के अलावा यह डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने का काम करती है।
इसमें कैंसरविरोधी गुण पाए जाते हैं जिस कारण कई प्रकार के कैंसर के इलाज में इसे प्रयोग करते हैं।
दालचीनी को पानी में घिस कर, गर्म कर लें, और लेप के रूप में लगाएं। इससे जुकाम में फायदा होता है।
इस्तेमाल -
दालचीनी को अंदरुनी और बाहरी दोनों रूपों में प्रयोग में लिया जा सकता है।
अंदरुनी फायदे के लिए इसके चूर्ण को अकेले या शहद, दूध और अन्य जड़ी बूटियों के साथ प्रयोग में लेते हैं। वहीं बाहरी रूप से इसका तेल उपयोगी है जिससे घाव, दर्द व सूजन में राहत मिलती है।
पोषक तत्त्व :
थाइमीन, फॉस्फोरस, प्रोटीन, सोडियम, विटामिन, कैल्शियम, मैंग्नीज, पोटेशियम, निआसीन, काबोहाइडे्रट आदि तत्त्वों से युक्त दालचीनी स्वाद में थोड़ी मीठी और तीखी होती है। स्वाद बढ़ाने के अलावा यह वात कफ से जुड़े रोगों को दूर करने में उपयोगी है। यह कई औषधियां बनाने में भी इस्तेमाल होती है।