माहवारी आते ही कई महिलाओं व किशोरियों को पेडू, कमर व पैरों में तेज दर्द होता है जिससे बचने के लिए वे पेन किलर ले लेती हैं। ये दवाएं फौरन आराम भले ही दें लेकिन इनसे हार्मोन के असंतुलन, माहवारी की अनियमितता या मासिक ठीक से ना होने जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।चिकित्सकाें के अनुसार नेचुरोपैथी में ऐसे कई उपाय हैं जिनसे इन तकलीफों को कम किया जा सकता है।
कारण
शरीर में रक्त की कमी, असंतुलित आहार, मानसिक तनाव, फिजिकल एक्टिविटीज की कमी, रक्त में किसी प्रकार की गड़बड़ी और कमजोरी आदि के कारण महिलाओं को माहवारी के दिनों में दर्द की शिकायत रहती है।
इलाज
- इस पद्धति में माहवारी आने के सात दिन पहले से ही इलाज शुरू हो जाता है। इसमें शुरू के 4 दिन जूस और बाद के तीन दिन फलाहार कराया जाता है। एनिमा लेकर भी पेट साफ कर सकते हैं।
- कटि स्नान इसके लिए रोजाना सुबह एक टब में पांच इंच सहने योग्य गर्म पानी भरकर उसमें लगभग आधे घंटे तक बैठना चाहिए। इस दौरान सिर पर ठंडा तौलिया जरूर रखें। पीरियड के दौरान इसे ना करें।
- सूर्य स्नान पूरे शरीर को केले के पत्तों से ढककर सुबह के समय 10-30 मिनट तक धूप में लेटने से भी आराम मिलता है।
सेक दर्द अधिक हो तो दर्द वाले स्थान पर सुबह व शाम को 2-3 बार गर्म और ठंडे पानी का सेक दें। सेक करने के लिए आप हॉट व कोल्ड वाटर बैग का प्रयोग करें।
- ध्यान रहे माहवारी के दिनों में अगर दर्द हो तो कटि स्नान ना करके केवल सेक करें।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2VqEfvl