क्या आपको भी लगता है कि आप बीमार हैं ? - Health Care Tips Hindi

क्या आपको भी लगता है कि आप बीमार हैं ?




दूसरे के सामने खुद को बीमार दिखाना एक तरह की बीमारी है। मनचाउसेन सिंड्रोम मानसिक विकार है। इससे ग्रसित व्यक्ति काल्पनिक रोगों से पीड़ित नजर आता है। मनगढ़न्त रोग के लक्षणों का स्वांग रचकर ध्यान, सहानुभूति और आश्वासन चाहता है। गंभीर बीमारी दर्शाने को बार-बार किसी रोग का स्वांग करता है। उसे रोग नहीं होता, उसकी कल्पना कर, मनगढ़न्त लक्षण व्यक्त करता है। उसकी आंतरिक इच्छा होती है कि वह रोगी दिखे, डॉक्टर उसे रोगी के रूप में लें। अपनी विकृत इच्छापूर्ति के लिए कष्टदायक टेस्ट करवाने को भी तत्पर रहता है। ऐसे व्यक्ति एक से दूसरे डॉक्टर, हाथ में रोग संबंधी मोटी फाइल लिए, अस्पतालों के चक्कर काटते हैं।



उन्हें इसकी लत हो जाती है, अत: इस रोग (सिंड्रोम-लक्षण समूह) को हॉस्पिटल अडिक्सन सिंड्रोम, थिक चार्ट सिंड्रोम या हॉस्पिटल हॉपर सिंड्रोम की संज्ञा दी जाती है।

ऐसे मानसिक रोगी के काल्पनिक रोगों के लक्षणों में पेटदर्द, हाथ-पांव का काम ना करना, ठीक से दिखाई ना देना, पेशाब में जलन आदि होते हैं। वह शख्स चाहता है कि डॉक्टर उसकी तरफ ध्यान दें, विश्वास कर उसका इलाज करें क्योंकि उसके रोग काल्पनिक होते हैं इसलिए लक्षणों का कारण नहीं मिलता। लेकिन रोगी जोर देता है कि उसे रोग है, तकलीफ है। और टेस्ट, इनवेस्टिगेशन होते हैं। डॉक्टर उसे बताता है कि निदान में कोई विशेष रोग सामने नहीं आया है। वह नहीं मानता है और प्रचारित करता है कि डॉक्टर को उसका रोग ही समझ में नहीं आया। दूसरे डॉक्टर, दूसरे अस्पताल में जाता है, कष्ट भोगता है, पैसा खर्च करता है व परेशान होता है। ऐसे आत्मभ्रमित मनोरोगी को यह प्रदर्शित कर आत्मतुष्टि मिलती है कि बड़े से बड़ा डॉक्टर खर्चीली जांचों के बावजूद भी रोग नहीं पकड़ पाया, इलाज गलत किया।

अपने रोग के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित कर, चिंता, सहानुभूति व उनकी दिलचस्पी में उसे आदर भाव, आत्मतुष्टि मिलती है। यह सिलसिला अनवरत चलता है। कई साल लग जाते हैं इस रोग विहीनता की पुष्टि होने में, रोगी को समझाने में कि उसके रोग काल्पनिक हैं और एक मनोरोग की वजह से उसके साथ ऐसा हो रहा है। सवाल यह भी है कि आज की व्यावसायिक चिकित्सा में कौन डॉक्टर ऐसा कहेगा और क्यों। इस रोग का निदान सरल नहीं होता।

पीड़ित में यह बातें पाई जाती हैं -


रोग के लक्षणों में नाटकीयता, अतिश्योक्ति। लक्षण असामान्य, इलाज से गंभीर होना या बदलना।
अवस्था में सुधार के बाद पुनरावृत्ति।
मेडिकल टम्र्स, भाषा व कुछ हद तक रोग का ज्ञान। टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव होने पर नए लक्षण और नए टेस्ट के लिए तत्परता। डॉक्टरों, अस्पतालों व क्लिनिकों की फेहरिस्त बड़ी शेखी के साथ बताना।

from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2QcjLTg

Pages