भारत दुनिया में डेंगू कैपिटल बन गया है। हमारे शरीर में प्लेटलेट्स काउंट्स घट जाते हैं। इससे शरीर के प्रमुख अंगों की क्षमता प्रभावित होती है। प्लेटलेट्स की संख्या ३५ हजार से कम होने के बाद रक्तस्राव की आशंका बढ़ जाती है। इससे हार्ट के प्रभावित होने की आशंका होती है। इसके आसपास तरल पदार्थ जमा हो जाता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैंं। हार्ट के वॉल्व लीक करने लगते हैं। यदि मरीज को हार्ट संबंधी समस्या है तो उसके लिए यह जानलेवा हो सकती है। इस रोग में सावधानी ही बचाव है।
ऐसे बढ़ती है तकलीफ
शरीर में रक्त से प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटती है। रक्त में लाल व सफेद रक्त कणिकाएं होती हैं। ये रक्त का वे हिस्सा होते हैं जो ब्लड क्लॉट बनाते हैं। ब्लड प्लेटलेट्स कम होने को थोम्बोसायटोपीनिया कहते हैं। सामान्य व्यक्ति के प्रवाहित रक्त में 1.50 से 4 लाख ब्लड प्लेटलेट्स होनी चाहिए। इनकी जिंदगी सिर्फ 10 दिन होती है। इसलिए बोनमैरो लगातार प्लेटलेट्स का निर्माण करती रहती है। डेंगू के साथ कई तरह के वायरल संक्रमण से भी प्लेटलेट्स घट जाते हैं।
डायबिटिक पेशेंट बरतें विशेष सावधानी
इन लक्षणों के दिखते ही उपचार शुरू कराना चाहिए। हृदय रोगियों या मधुमेह के मरीजों को डेंगू हो जाए तो उसे अस्थायी या स्थायी रूप से पेसमेकर भी लगाना पड़ता है।
लापरवाही न बरतें
घर के आसपास पानी जमा न होने दें। खाली गमलों को उलट दें। कूलर की ट्रे खाली कर दें। उपयोग में न आने वाले टैंक खाली रखें। बाल्टी या टब में पानी संग्रह न करें या उन्हें कवर करके रखें। डेंगू का मच्छर दिन में ज्यादा सक्रिय रहता है। इसलिए बाजुओं को कवर करने वाले कपड़े पहनें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। खासतौर पर बच्चों को तो मच्छरदानी में ही सुलाएं क्योंकि वे दिन में भी सोते हैं और इस समय डेंगू के मच्छर का प्रकोप ज्यादा हो जाता है।
क्या कहता आयुर्वेद
आयुर्वेद में डेंगू के इलाज के लिए पांच चीजों को महत्व दिया जाता है। पहला, ताजा पानी पिएं। दूसरा, हल्का भोजन करें जैसे दलिया, खिचड़ी, उपमा आदि। तीसरा, आराम करें। चौथा, कुटकी व चिरायता को विशेषज्ञ के बताए अनुसार तब तक लें जब तक आराम न मिले। पांचवां, गिलोय का रस, इसके पत्ते या पाउडर का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह से करने पर डेंगू में दो से तीन दिन में ही आराम मिलने लगता है।
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