तेजपत्ता माइग्रेन, पेट व संक्रामक रोगों के लिए है फायदेमंद - Health Care Tips Hindi

तेजपत्ता माइग्रेन, पेट व संक्रामक रोगों के लिए है फायदेमंद

आयुर्वेद चिकित्सा में तेजपत्ता भोजन में स्वाद बढ़ाने के अलावा सुरक्षा की दृष्टि से कीट, मक्खियों व अन्य कीटाणुओं को नष्ट करने में भी उपयोगी है। इसलिए इसका सुरक्षित इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसे तेजपात, तमालपत्र, बे-लीफ आदि के नाम से भी जाना जाता है।

पोषक तत्त्व : इस पत्ते को ताजा खाने के अलावा सूखा या तेल के रूप में भी प्रयोग में लेते हैं। ताजा खाने पर इसका स्वाद तिक्त व कड़वा, वहीं सूखने पर यह जड़ीबूटी जैसा लगता है। इसमें विटामिन, मिनरल के अलावा प्रोटीन, डायट्री फाइबर, कैल्शियम आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं।

ध्यान रखें : सीमित मात्रा (आधा पत्ता, आधी चम्मच चूर्ण) से अधिक प्रयोग डायरिया या उल्टी की समस्या कर सकता है। गर्भवती महिलाओं और गैस्ट्रिक अल्सर के रोगी इससे परहेज करें। गर्म तासीर का होने के कारण पित्त प्रकृति वाले सावधानी और कम मात्रा में ही खाएं।

फायदे - माइग्रेन में खासतौर पर यह उपयोगी है। डायबिटीज, सिरदर्द, नाक की एलर्जी, सर्दी-जुकाम, खांसी, बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण की समस्या में काफी आराम देता है। तेजपत्ते के तेल प्रयोग छिलने और मोच के इलाज में भी होता है। यह पेन्क्रियाज की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाए रखता है। जोड़ संबंधी रोगों जैसे गठिया में उपयोगी है।

इस्तेमाल -
पत्ते को पानी में उबालकर, उबले हुए पानी को पीने के अलावा इससे हर्बल चाय तैयार कर सकते हैं। इसके फल और पत्तों से निकला तेल, दर्द वाले हिस्से पर लगाया जाता है। पत्ते के अलावा इसका चूर्ण भी उपयोगी है। कई मामलों में इससे बना कैप्सूल भी लिया जाता है।



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