
नवजात को सबसे पहले दिया जाने वाला मां का दूध रोगों से लडऩे की क्षमता को बढ़ाता है। ज्यादातर मांएं बच्चे को सिर्फ दूध देती हैं जबकि उसकी तेजी से होती ग्रोथ के लिए दूध के अलावा भी कई ऐसी चीजों की जरूरत पड़ती है जो उसके संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है। जानते हैं कि बच्चों के 0-3 साल तक का खानपान कैसा होना चाहिए-
अच्छी आदतों से स्ट्रॉन्ग -
एक साल की उम्र के बाद बच्चों को ऐसी बातें सिखाएं जो भविष्य के लिए परेशानी न बने। जैसे- भोजन करने के दौरान उसे किसी बड़े के साथ बिठाएं ताकि वह उन्हें देखकर रोटी तोड़ना, चम्मच पकड़ना और मुंह में निवाला डालना सीखे।
बच्चे को खेल-खेल में खाने की आदत डलवाएं। इससे वह खुद से चीजें खाना सीखेगा।
किसी गलत गतिविधि पर उसे डांटने, मारने या बोलने की बजाय केवल 'नो या नहीं के शब्दों की पहचान करवाएं। यह शब्द सुनते ही वह धीरे-धीरे समझेगा कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।
एक साल की उम्र के बाद बच्चों को ऐसी बातें सिखाएं जो भविष्य के लिए परेशानी न बने। जैसे- भोजन करने के दौरान उसे किसी बड़े के साथ बिठाएं ताकि वह उन्हें देखकर रोटी तोड़ना, चम्मच पकड़ना और मुंह में निवाला डालना सीखे।
बच्चे को खेल-खेल में खाने की आदत डलवाएं। इससे वह खुद से चीजें खाना सीखेगा।
किसी गलत गतिविधि पर उसे डांटने, मारने या बोलने की बजाय केवल 'नो या नहीं के शब्दों की पहचान करवाएं। यह शब्द सुनते ही वह धीरे-धीरे समझेगा कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।
कब पीठ को थपथपाएं -
यदि बच्चा दूध पीते ही बार-बार उल्टी कर दे तो समझ जाएं कि उन्हें दूध पचा नहीं है। इस स्थिति में कोशिश करें कि ब्रेस्टफीड कराने के तुरंत बाद उसे सुलाएं नहीं। दूध पिलाने के बाद पहले उसे गोद में लेकर पीठ को हल्के हाथ से थपथपाएं। इससे उसे डकार आ जाएगी और दूध पच जाएगा। साथ ही बच्चे को कभी भी जबरदस्ती कुछ खिलाने या दूध पिलाने की कोशिश न करें।
यदि बच्चा दूध पीते ही बार-बार उल्टी कर दे तो समझ जाएं कि उन्हें दूध पचा नहीं है। इस स्थिति में कोशिश करें कि ब्रेस्टफीड कराने के तुरंत बाद उसे सुलाएं नहीं। दूध पिलाने के बाद पहले उसे गोद में लेकर पीठ को हल्के हाथ से थपथपाएं। इससे उसे डकार आ जाएगी और दूध पच जाएगा। साथ ही बच्चे को कभी भी जबरदस्ती कुछ खिलाने या दूध पिलाने की कोशिश न करें।
0-4 माह : पहले चार माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। कोशिश करें कि बच्चे को दिनभर में आधा लीटर दूध जरूर पिलाएं।
5वां महीना : उबालकर ठंडा किया हुआ पानी चम्मच से पिलाएं। धीरे-धीरे आहार में बदलाव करें जैसे घर में बनी दलिया, रवे की खीर, चावल की मांड एक से दो चम्मच की मात्रा में या बच्चा जितनी मात्रा सुगमता से पचा सके दे सकते हैं। इसे पांचवें माह में सुबह-शाम देना चाहिए।
5वां महीना : उबालकर ठंडा किया हुआ पानी चम्मच से पिलाएं। धीरे-धीरे आहार में बदलाव करें जैसे घर में बनी दलिया, रवे की खीर, चावल की मांड एक से दो चम्मच की मात्रा में या बच्चा जितनी मात्रा सुगमता से पचा सके दे सकते हैं। इसे पांचवें माह में सुबह-शाम देना चाहिए।
छठा माह: छठे महीने में बच्चे को केले में दूध को मसलकर दिन में एक बार दें। इसके बाद धीरे-धीरे सेब, पपीता, चीकू, आम जैसे फलों को बच्चे के आहार में शामिल करना चाहिए। इन फलों को मसलकर ही खिलाएं। इसके अलावा सप्ताहभर बाद अच्छी तरह पकाई गई सब्जियां मसलकर या मक्खन के साथ 2 से 4 चम्मच दे सकती हैं।
7-8वां माह: सातवें और आठवें महीने में दाल, खिचड़ी को मसलकर खिलाना शुरू करें। इसे 2-4 चम्मच ही दें।
9वां माह : इस दौरान गाय या भैंस का दूध गिलास से देना शुरू करें। मां का दूध बच्चा जब तक पीता है, जारी रखना चाहिए।
एक वर्ष बाद : संतुलित व पूर्ण आहार, बच्चा जितना अपनी इच्छा से खा सके, खिलाएं। ये आहार विकास और बढ़ते वजन के लिए जरूरी हैं।
9वां माह : इस दौरान गाय या भैंस का दूध गिलास से देना शुरू करें। मां का दूध बच्चा जब तक पीता है, जारी रखना चाहिए।
एक वर्ष बाद : संतुलित व पूर्ण आहार, बच्चा जितना अपनी इच्छा से खा सके, खिलाएं। ये आहार विकास और बढ़ते वजन के लिए जरूरी हैं।
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