गर्भाशय में गांठें या फाइब्रॉइड्स एक महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या बन चुकी है। इसी वजह से अधिकतर महिलाओं को 40की उम्र के बाद और कुछ को इससे भी कम उम्र में ही गर्भाशय निकलवाना पड़ता है। फाइब्रॉइड्स यूट्रस की वे गांठें हैं जो इसके अंदर या बाहरी किनारों पर होती हैं। ये गांठें कैंसर की नहीं होती।
समस्याएं : पीरियड्स ज्यादा दिन तक होना, अत्यधिक रक्तस्राव, पेट के निचले हिस्से का फूला रहना, कमर के निचले भाग में बहुत तेज दर्द होना, कब्ज, अधिक बड़ा फाइब्रॉइड्स होने पर बार-बार पेशाब आना आदि। इनके समाधान के लिए गर्भाशय को निकाल दिया जाता है जिससे महिलाओं में डिप्रेशन, जोडों में दर्द, मोटापा और माइग्रेन की समस्या हो जाती है।
ये हैं दवाइयां -
होम्योपैथी दवा से गर्भाशय को बचाया जा सकता हैै। फाइब्रॉइड्स के इलाज में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख होम्योपैथी दवाएं सीपिया, केल्केरिया कार्ब, सेबाइना, लिलियम टिगलिनम, अस्टीलेगो माइडस, म्यूरेक्स, केल्केरिया फ्लोर व साइलीशिया हैै।
क्या है फाइब्रॉइड्स -
यूटरस के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर को फाइब्राइड्स कहते हैं। इसे रसौली की गांठ भी कहा जाता है। फायब्रॉइड या रसौली ऐसी गांठें होती हैं जो महिलाओं के गर्भाशय में या उसके आसपास बनती हैं। ये मांस-पेशियों और फाइब्रस उत्तकों से बनती हैं और इनका आकार कुछ भी हो सकता है। इन्हें यूटरीन मायोमास और फाइब्रोमायोमास के नाम से जाना जाता है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal http://bit.ly/2SqM1n0