अक्सर लोग नाखून चबाते हैं, पैर हिलाते हैं, सिर पर हाथ फेरते हैं या दफ्तर की टेबल पर पेन से टख-टख करने लगते हैं। इस स्थिति को न्यूरोटिक ट्रेटस कहते हैं जिसमें व्यक्ति जब किसी तनाव से गुजरता है तो रिलेक्स महसूस करने के लिए वह ऐसा करता है। धीरे-धीरे ये हरकतें आदत में बदल जाती हैं। ऐसे में योगा या मेडिटेशन का सहारा लें।
परिवार के सदस्य एक संकेत बना लें जैसे जब व्यक्तिनाखून चबाएगा या होंठ काटेगा तो उसे मना करने के लिए आप अपना दायां कान छुएंगे। इससे व्यक्ति की आदत में सुधार होगा और बार-बार टोकने या दूसरों के सामने बोलने से उसे शर्मिंदगी भी महसूस नहीं होगी।
कुछ लोग अक्सर राह चलते हुए बड़बड़ाते हैं, हाथ हिलाते हैं, उन्हें अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। असल में यह टॉकिंग टू सेल्फ की स्थिति होती है जो कि एक मनोरोग, सिजोफ्रेनिया है। इसके लिए मनोचिकित्सक से संपर्क कर इलाज कराना चाहिए। एक अन्य स्थिति सेल्फ डायलॉग की होती है जिसमें व्यक्ति बॉस से मिलने या इंटरव्यू से पहले उसकी प्लानिंग को खुद से डिस्कस करता है। यह एक सामान्य मनोव्यवहार है।
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